Saturday, June 11, 2011

आज अस्तित्व को एक महिना हो गया

आज  अस्तित्व  को  एक  महिना  हो  गया  


 आज शनिवार को सभी बच्चो ने पढाई कम और मस्ती ज्यादा की ,,स्कूल पहुचाते ही बच्चो  ने कहा की "दीदी आज खेलते है "मैंने कहा की ठीक है लकिन स्कूल में ही ,,चलो कुछ करते है ,,फिर  मैंने देखा  की बगल  वाले  घर  में ही मिट्टी को गिला कर गुथा जा रहा था खपरैल बनाने के लिए ,मैंने बच्चो से कहा की चलो कुछ बनाते है मिट्टी से ,फिर क्या था बच्चे सुनते ही खुश  हो गए ,फिर तो सभी कुछ न कुछ बनाने में ब्यस्त हो गए ,,मैंने देखा की अधिकतर  बच्चो ने वोर्ड्स ही बनाये,, जब मैंने कहा की "अरे तुम लोग तो रोज ही इसे पढ़ते हो तो इसे क्यों बना रहे हो कुछ और बनाओ तो बच्चो ने घर,जानवर ,और किचेन के बर्तन बनाये,,मैंने भी एक घर और हिंदी का दूसरा शब्द ख बनाया |
फिर लैपटॉप से बच्चो को एक छोटी सी कार्टून वाली मूवी दिखाई ,उसके बाद थोड़ी सी पढाई के बाद  छुट्टी हो गई    
आज अस्तित्व को पूरा एक महिना पूरा हो गया ,,स्कूल एक महीने का हो 
 गया है ,,,,इस एक महीने में मुझे स्कूल दो बार सिफ्ट करना पड़ा है,पहले वाले स्कूल में जगह कम पड़ने लगी थी ,,स्कूल की फोटो आप सभी ने देखी होगी ,,,,,,दुसरे स्कूल की फोटो आज मै लगा रही हूँ जिसमे बच्चे मिट्टी के चित्र बना रहे है,,स्कूल में पुरे ५५ बच्चे हो चुके है ,,,और मेरे पास   केवल  30 सलते  ही है,,अब  तो chalk   भी ख़तम  हो है,,चुकी यहाँ  ओबरा में एक पहाड़ ऐसा है जिसका पत्थर एकदम सोफ्ट है ,और वो chalk का अचछा काम करता है,तो हर रविवार को जो भी बाज़ार जाता है वो ढेर सरे चालक लता है ,,,,लकिन स्लेट काम है ,,और बच्चे ज्यादा |
एक महीने में काफी बच्चे हिंदी के शब्द और गिनती  सिख  चुके है ,,अब मुझे copy के साथ साथ बुक की भी जरुरत है ,,मेरे पास लैपटॉप तो है लकिन speaker नहीं है,
स्कूल में किसी  भी तरह  का poster नहीं है ,,यहाँ के बच्चे varanasi तक  को नहीं जानते  है तो  बाकि  की चीजे  को अंदाज़ा  लगाया  जा सकता  है ,,,मुझे कुछ posters भी खरीदने  है,,,
फिलहाल मुझे पोस्टर्स,स्पेअकर ,कॉपी, पेंसिले ,रबर ,color ,खरीदने है
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद 






































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