क्यों न ये १५ अगस्त कुछ खाश तरीके से मनाया जाये ,,,,आजादी के ६५ वर्षगाठ पर हम उन लोगो के साथ रहे जो आज़ादी का मतलब ही नहीं जानते है ,,,हम १५ अगस्त को ऐसे लोगो के साथ रहे जिन्होंने आज तक कभी भी तिरंगा नहीं लहराया है,,,जिनके लिए देश उनका गावं ही है उन्हें भारत की कोई खबर नहीं है ,,मुझे तो बच्चो को भारत का नाम रटवाना पड़ता है,,,,आप सभी अपनी जिन्दगी में कुछ रोमांचक करना चाहते होंगे,,,तो मेरा यकीं मानिये ये काम भी किसी रोमांच से कम नहीं होगा,,,,मै आप सभी को इस जगह आने के लिए निमंत्रित करती हो ,,,,,,जहा तिरंगा पहली बार लहराया जायेगा
Monday, August 8, 2011
Sunday, August 7, 2011
एक बहुत ही पुरानी और पिछड़ी हुई नस्ल
मनुष्यों की एक बहुत ही पुरानी और पिछड़ी हुई नस्ल के साथ आज कल मै रह रही हूँ,,जिसे अभी तक technology का वैरस नहीं लगा है,और बजार बहुत ही सिमित मात्रा में अपनी पहुच बना पाया है,,,जिन संसाधनों के बगैर नेई नसल के लोग जी भी नहीं पाएंगे उन संसाधनों को ये पुराणी नस्ल ने ना ही देखा है ना ही उनके बारे में सुना है,,यहाँ रहते हुए मुझे ३ महीने होने जा रहे है और अक्सर मै सोचती हूँ की अगर इनके घरो में से कुछ बाज़ार के सामान निकाल दे तो पक्का २०० या ३०० साल पहले के आदिवासी ऐसे ही रहते होंगे,
कभी कभी तो मुझे लगता है की पुरात्तव बिभाग को यही बुलवा लेना चाहिए ताकि वो अपनी शोध आदिवासियों के बारे में पूरी कर पाए ,,,,,,,जब मै यहाँ आई थी तो मैंने इसे सिर्फ एक पिछड़ा हुआ इलाका माना था ,,लेकिन यहाँ आकर पता चल रहा की जैसे मैंने हड़प्पा या मोहनजोदड़ो जैसे किसी चीज की खोज कर ली है,,,,,,और मेरे आश्चयर का ठिकाना ही नही रहता है,,,,,,,,,,,,,,मुझे मालूम है की कोई अकेली जगह नहीं है जहा मै रह रही हूँ ऐसी हजारो गावं है यहाँ ,,,,मेरे दिमाग में तो तो ये सब देख के यही आता है की ये" ये भारत की असफल लोकतान्त्रिक व्यवस्था "का जीता जाता साबुत है ,,,,,और इस व्यवस्था ने एक भारत में हजारो कई ऐसे नसले पैदा कर दी है जो अव्यवस्था का कारण है,,,,,,,,,,,,,,,,इसे तो मै भारत का बिकलांग विकाश ही कहना पसंद करुँगी '
Subscribe to:
Posts (Atom)