Sunday, May 29, 2011

जहा प्रतिभा को केवल एक मौके की तलाश है.

सुबह जब हम सो के उठे तब गावं वालो से बातचीत  शुरू  हुई  ,उन्हें  विश्वास  ही  नहीं हो रहा था की  हम इतनी   दूर चल कर  skooल  के आये  है ,खैर  ,मैंने  स्कूल  खोलने  की एक  तारीख  तय  की १० may ,,दोपहर  में हमने  गावं वालो के साथ  एक मीटिंग  तय की ,,दोपहर तक सब  लोग आने  लगे, बातचीत शुरु हुई ,,उन्हें बहुत  आश्चर्य  हो रहा था बातचीत के दौरान  ही एक व्यक्ति  ने अपनी जमीं  जो  की २ बीघा  है देने  की बात  की ,,हम लोगो  ने उन्हें तारीख बता  दी  की 10 may से स्कूल आप  लोगो के गावं में शुरु हो जायेगा  ,,,हम लोग बातचीत कर रहे  थे  तभी बहुत तेज  आंधी  और बारिश  आ  गया  सभी  लोग चले  गए मै,  रवि  और गावं के 3 लोग वहा रुके  थे हम लोग नदी के किनारे  एक झोपड़ी  में थे,,तभी अचानक  वो  झोपड़ी गिर गई , एक आदमी उसमे  दब  गया बड़ी  ही मुश्किल  से उसे  वहा से निकला  गया मुझे और रवि को  भी चोट  आई  फिर  हम जल्दी जल्दी घर  की तरफ  जाने  लगे तूफान  इतनी तेज था की चला  नहीं जा  रहा था उस दिन  ओले  भी पद  रहे थे रस्ते  में कई  पेड़  गिरे  मिले  थे ,हम लोग घर आकर  चैन  की साँस  ली 4 बजे  तक बारिश बंद  हो गई थी ,हम लोग तुरंत वापस हो गए ,रामभजन जी  ने अपनी नाव से हमें उस पार छोड़ा फिर हम लोग जल्दी जल्दी पैदल चलने लगे ,,जब हम लोग आधी दुरी तक पहुचे तब तक अँधेरा हो चूका था मुझे डर भी लगने लगा था इस जंगल में दूर दूर तक कोई भी नहीं था,,तभी   एक आदमी बाईक से वह से गुजर रहा था हमने उससे लिफ्ट ली और उसने हमें मैं रोड तक छोड़ा ,,फिर हम लोग वह से वाराणसी के लिए बस लिया और चल पड़े,मुझे  जल्दी से पहुच कर इंतजाम करना था स्कूल के लिए ,,बहुत से सामान लेन थे,उसके लिए लोगो से मिल कर बताना था की मुझे सुरुवात में केवल पढने लिखने का सामान ही चाहिए | कई लोगो से बातचीत हिउ फिर mr .संजय अस्थाना जी ने स्लेट,blackboard  दिया  फिर ,१० मई को मैंने एक गाड़ी बुक की २६०० rs में और हम लोग मतलब, मम्मी ,मई रवि कान्त सिंह,संजय सर,डॉ,आनंद तिवारी ,अमरसोता पहुचे  ,एक स्कूल की सुरूवात हुई,फिर मम्मी और संजय जी,डॉ.आनंद वापस लौट गए,,मई और रवि वहा रुके हमने स्कूल की शुरुवात की ,रवि भी २ दिनों बाद चले गए लकिन अब ये गावं अमरसोता ही मेरे रहने की जगह है ,मई कही भी जाऊ मुझे लौट के यही आना है....बाकि कल   

Saturday, May 28, 2011

Astitav: जहा प्रतिभा को केवल एक मौके की तलाश है.

Astitav: जहा प्रतिभा को केवल एक मौके की तलाश है.: "मै दिसम्बर से ही सोनभद्र के चोपन ब्लाक में एक गावं में रह रही थी और education पर काम कर रही थी मैंने बहुत बार सुना था की कई ऐसे भी गाव..."

जहा प्रतिभा को केवल एक मौके की तलाश है.

मै  दिसम्बर  से  ही  सोनभद्र के चोपन ब्लाक में एक गावं में रह रही थी और education  पर काम कर रही थी मैंने बहुत बार सुना था की कई ऐसे  भी गावं है जहा स्कूल है ही नहीं ,मै वहा जाना चाहती थी लेकिन कोई माध्यम नहीं मिल पा रहा था  |एक दिन जब मै वाराणसी आई थी तो एक वरिस्थ पत्रकार श्री संजय अस्थाना से मिलने गई थी हम लोग education के वर्तमान स्थिति पर बातचीत कर रहे थे तभी वहा एक रिपोर्टर रविकांत सिंह भी आ गए बातचीत के दौरान उन्होंने कहा की एक बार रिपोर्टिंग के सिलसिले में वो एक बार एक ऐसे गावं में गये थे जहा हैंडपंप तक नहीं है,और भी कई बाते उस गावं के बारे में हुई ,,वहा से जाते वक्त मैंने रविकांत सिंह का फ़ोन नंबर ले लिया था ,फिर मैंने उनसे उस गावं में जाने के लिए कहा ,,मेरे तीन दिन लगातार फ़ोन करने और request करने पर वो मेरे साथ वहा जाने के लिए तैयार हो गए ,,हम लोग वाराणसी से सुबह ८ बजे बस से निकले और १२ बजे तक robrtsganj पहुचे वहा से रेनुकूट जाने वाली बस से हम लोग निकले और हथिनाला से १ km पहले ही बेल्हथी गावं जाने के लिए उतर गए ,वहा से पैदल ही हम लोग चल पड़े वहा कोई साधन नहीं है करीब १ कम चलने पर रानीतली गावं का स्कूल है वहा से भी करीब २ कम पैदल चलने पर आमी गावं के लिए एक कच्चा रास्ता जाता है वहा से १५ कम चलने  पर आमी गावं रेनू नदी के किनारे है फिर नदी को पार करने पर हम लोग अमरसोता गावं में पहुचे  लकिन नदी किनारे हम लोगो को करीब २ घंटे इंतजार करना पड़ा तब एक नाव उस पार जा रही थी और हमे भी जाना था ,तब तक रात हो चुकी थी और हम लोग बुरी तरह थक गए थे और भूख भी बहुत तेज लग रही थी,मेरे पैरो में तो छाले भी पड़ गए थे  हम लोग गावं के सबसे  ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति रामभजन जी के घर गए वो लोग आश्चर्य चकित थे की ये लोग यहाँ क्यों कैसे आये है ,,फिर भी हम लोगो ने चावल  दाल खाया और सो गए ,,सुबह हमारी सबसे बातचीत शुरू हुई  ,,जब मै पैदल चल रही थी तभी मुझे इस गावं के पिछड़ेपन का अंदाजा हो गया था और मैंने तभी ये निश्चय कर लिया था की यहाँ जरुरत है काम करने की और मै यही काम करुँगी ,स्कूल का नाम "Astitav" भी तभी दिमाग में आया था ,

Friday, May 27, 2011

जहा प्रतिभा को केवल एक मौके की तलाश है.

जहा प्रतिभा को केवल एक मौके की तलाश है.जी हाँ सोनभद्र के चोपन ब्लाक के एक गावं अमरसोता की कहानी कुछ यही है ,,इस गावं में जाने का कोई भी रास्ता नहीं है ,इस गावं में न तो स्कूल है न ही हॉस्पिटल ,न तो बिजली है न ही हैंडपंप |इस गावं में जाने के लिए पहला रास्ता ये है की आप ओबरा से ७ km दूर "रेनू" नदी जो ओबरा गावं के पास है जाना होंगा और वहा से अगर  कोई अमरसोता  गावं जा रहा होंगा तो नाव से ३० km बाद अमरसोता गावं में पहुंचगे| और दूसरा रास्ता -सोनभद्र में रेनुकूट जाने वाले  रास्ते पर हथिनाला से १ km पहले ही बेल्हथी गावं जाने की रस्ते से अमरसोता के लिए मुड़ना  होगा ये दुरी  18 km है ये कोई रोड नहीं है,सिर्फ  डगर  है कही  कही रोड  बनी  है बाकि  का रास्ता कच्चा है फिर अमी गावं पहुंचेगे जो "रेनू" नदी के किनारे है फिर नाव से नदी पार कर आप अमरसोता में पहुच गए| गावं में पिने की पानी गंभीर समस्या है ,गावं के लोग नदी के किनारे ही एक chota sa gadhdha khoda है jisme से वो पानी late है लकिन वो पानी पिने योग्य नहीं है |गावं से नदी पर कर ८ कम के बाद एक sarkari स्कूल है जो क्लास ८ तक है कुछ लड़के वहा पढने जाते है लकिन नदी पर करना हमेशा  आसान  नहीं होता है नदी में कभी भी तूफान का खतरा रहता है और बरसात में तो और भी खतरनाक होता  है ,फिर भी बच्चे हिम्मत कर के स्कूल जाते है ,,लकिन लडकिया नहीं जा पाती है सब मिला के मई यही कहूँगी की अमरसोता गावं का शिछा का प्रतिशत ० % है,  वहा जाने के बाद ये मह्सुश होता है की जब मानव सामाजिक हो रहा था तो वो इसी तरह से होगा ,लकिन अभी पूरी तरह से बिकसित नहीं है ये आदिमानव जैसे है ,,लकिन प्रकृति के बहुत पास |

Monday, May 23, 2011

first day in school,at Amarsota


















first day of school,in Amarsota vellage ,,on 10th may me my mummy ,ravikant singh a reporter,Mr. Sanjay Asthana and Dr.Anand Tiwari went in village,mr.Asthana carry a blackboard ,Dr.Anand and mummy carried stationary,.there was a meeting with villagers and they return ,,i stay their and school started. people are very happy and there are above 50 kids but they are very shy so who told me their name i registerd and now there are 38 student in Astitav ,daily a children taking admition ,though i have limited materials and i have to face problems ,,sometime children saying that "didi aap aur slate aur copy le aao na"hum bhi likhenge,
there is a 8 year old boy Shivcharan from the first day he was mute not speaking single word but comes daily but now he recite poems in hindi and english,,,Our Astitav ,a school for angels"s prayer HUM HONGE KAMYAB EK DIN now every children learn this,