सुबह जब हम सो के उठे तब गावं वालो से बातचीत शुरू हुई ,उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था की हम इतनी दूर चल कर skooल के आये है ,खैर ,मैंने स्कूल खोलने की एक तारीख तय की १० may ,,दोपहर में हमने गावं वालो के साथ एक मीटिंग तय की ,,दोपहर तक सब लोग आने लगे, बातचीत शुरु हुई ,,उन्हें बहुत आश्चर्य हो रहा था बातचीत के दौरान ही एक व्यक्ति ने अपनी जमीं जो की २ बीघा है देने की बात की ,,हम लोगो ने उन्हें तारीख बता दी की 10 may से स्कूल आप लोगो के गावं में शुरु हो जायेगा ,,,हम लोग बातचीत कर रहे थे तभी बहुत तेज आंधी और बारिश आ गया सभी लोग चले गए मै, रवि और गावं के 3 लोग वहा रुके थे हम लोग नदी के किनारे एक झोपड़ी में थे,,तभी अचानक वो झोपड़ी गिर गई , एक आदमी उसमे दब गया बड़ी ही मुश्किल से उसे वहा से निकला गया मुझे और रवि को भी चोट आई फिर हम जल्दी जल्दी घर की तरफ जाने लगे तूफान इतनी तेज था की चला नहीं जा रहा था उस दिन ओले भी पद रहे थे रस्ते में कई पेड़ गिरे मिले थे ,हम लोग घर आकर चैन की साँस ली 4 बजे तक बारिश बंद हो गई थी ,हम लोग तुरंत वापस हो गए ,रामभजन जी ने अपनी नाव से हमें उस पार छोड़ा फिर हम लोग जल्दी जल्दी पैदल चलने लगे ,,जब हम लोग आधी दुरी तक पहुचे तब तक अँधेरा हो चूका था मुझे डर भी लगने लगा था इस जंगल में दूर दूर तक कोई भी नहीं था,,तभी एक आदमी बाईक से वह से गुजर रहा था हमने उससे लिफ्ट ली और उसने हमें मैं रोड तक छोड़ा ,,फिर हम लोग वह से वाराणसी के लिए बस लिया और चल पड़े,मुझे जल्दी से पहुच कर इंतजाम करना था स्कूल के लिए ,,बहुत से सामान लेन थे,उसके लिए लोगो से मिल कर बताना था की मुझे सुरुवात में केवल पढने लिखने का सामान ही चाहिए | कई लोगो से बातचीत हिउ फिर mr .संजय अस्थाना जी ने स्लेट,blackboard दिया फिर ,१० मई को मैंने एक गाड़ी बुक की २६०० rs में और हम लोग मतलब, मम्मी ,मई रवि कान्त सिंह,संजय सर,डॉ,आनंद तिवारी ,अमरसोता पहुचे ,एक स्कूल की सुरूवात हुई,फिर मम्मी और संजय जी,डॉ.आनंद वापस लौट गए,,मई और रवि वहा रुके हमने स्कूल की शुरुवात की ,रवि भी २ दिनों बाद चले गए लकिन अब ये गावं अमरसोता ही मेरे रहने की जगह है ,मई कही भी जाऊ मुझे लौट के यही आना है....बाकि कल
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