मै दिसम्बर से ही सोनभद्र के चोपन ब्लाक में एक गावं में रह रही थी और education पर काम कर रही थी मैंने बहुत बार सुना था की कई ऐसे भी गावं है जहा स्कूल है ही नहीं ,मै वहा जाना चाहती थी लेकिन कोई माध्यम नहीं मिल पा रहा था |एक दिन जब मै वाराणसी आई थी तो एक वरिस्थ पत्रकार श्री संजय अस्थाना से मिलने गई थी हम लोग education के वर्तमान स्थिति पर बातचीत कर रहे थे तभी वहा एक रिपोर्टर रविकांत सिंह भी आ गए बातचीत के दौरान उन्होंने कहा की एक बार रिपोर्टिंग के सिलसिले में वो एक बार एक ऐसे गावं में गये थे जहा हैंडपंप तक नहीं है,और भी कई बाते उस गावं के बारे में हुई ,,वहा से जाते वक्त मैंने रविकांत सिंह का फ़ोन नंबर ले लिया था ,फिर मैंने उनसे उस गावं में जाने के लिए कहा ,,मेरे तीन दिन लगातार फ़ोन करने और request करने पर वो मेरे साथ वहा जाने के लिए तैयार हो गए ,,हम लोग वाराणसी से सुबह ८ बजे बस से निकले और १२ बजे तक robrtsganj पहुचे वहा से रेनुकूट जाने वाली बस से हम लोग निकले और हथिनाला से १ km पहले ही बेल्हथी गावं जाने के लिए उतर गए ,वहा से पैदल ही हम लोग चल पड़े वहा कोई साधन नहीं है करीब १ कम चलने पर रानीतली गावं का स्कूल है वहा से भी करीब २ कम पैदल चलने पर आमी गावं के लिए एक कच्चा रास्ता जाता है वहा से १५ कम चलने पर आमी गावं रेनू नदी के किनारे है फिर नदी को पार करने पर हम लोग अमरसोता गावं में पहुचे लकिन नदी किनारे हम लोगो को करीब २ घंटे इंतजार करना पड़ा तब एक नाव उस पार जा रही थी और हमे भी जाना था ,तब तक रात हो चुकी थी और हम लोग बुरी तरह थक गए थे और भूख भी बहुत तेज लग रही थी,मेरे पैरो में तो छाले भी पड़ गए थे हम लोग गावं के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति रामभजन जी के घर गए वो लोग आश्चर्य चकित थे की ये लोग यहाँ क्यों कैसे आये है ,,फिर भी हम लोगो ने चावल दाल खाया और सो गए ,,सुबह हमारी सबसे बातचीत शुरू हुई ,,जब मै पैदल चल रही थी तभी मुझे इस गावं के पिछड़ेपन का अंदाजा हो गया था और मैंने तभी ये निश्चय कर लिया था की यहाँ जरुरत है काम करने की और मै यही काम करुँगी ,स्कूल का नाम "Astitav" भी तभी दिमाग में आया था ,
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