Sunday, July 3, 2011

दूषित पानी पीने को मजबूर गाववाले

 ,,,"रेनू" नदी सोनभद्र में है ,,रेनू नदी के किनारे बसे हजारो गाव इसी नदी पर जीवित है ,,वो केवल नदी के पानी का इस्तेमाल फसलो के के लिए ही नहीं करते बल्कि उनकी सारी पानी की जरुरतो को भी यही नदी पूरा करती है ,,,चाहे पीने के लिए,खाना बनाने के लिए ,बर्तन धोने के लिए ,,चाहे जिस भी काम का इस्तेमाल हो पानी नदी से ही आता है,,इन गावो में एक भी हैंडपंप   नहीं है ,,,जिससे इन गाव वालो को नदी का पानी पीना पड़ता है,गाव वालो ने नदी के किनारे ही छोटा सा गड्डा खोदा है जिससे वो पानी पीने के लिए लाते है ,,,बाकि के दिनों में तो पानी ज्यादा     दुषित नहीं रहता है लेकिन बारिश के दिनों में पानी बहुत ही गन्दा हो जाता है,,जिसे गाव वालो को पीना पड़ता है जिससे वहा बारिश के समय लगभग लोगो की तबियत ख़राब रहती है ,,इस वक्त अधिकतर   बच्चो को बुखार रहता है और चेचक का जबरदस्त प्रकोप है,,लेकिन वहा न तो कोई डॉक्टर है नहीं कोई दवा ,,,बच्चो की तबियत इतनी जबरदस्त खराब रहती है की वो बिस्तेर से ४ ५ दिनों तक उठ पाने की भी स्थिति में नहीं रहते है ,,चोपन ब्लॉग के इन गावो में कभी भी अनम नहीं आती है,किसी भी तरह के कोई भी अधिकारी इन गावो में नहीं आते है,दूषित पानी पीने से लोग लम्बे समय तक अनेको बीमारियो से जूझते रहते है ,

तू ही मंदिर मश्जिद तू ही पांच प्रयाग ,,,तू ही सीढ़ी दार खेत तू ही रोटी दाल ,,,नदी तू बहती रहना ,नदी ही जीवन का आधार होती  है,बिना नदी के जीवन की कल्पना शायद  हम नहीं कर सकते है,,,लेकिन इस आधुनिक युग में शायद   नदी बड़े शहरों में एक शो मात्र रह गई है,,उसमे शहर की सारी गंदगी डाली जाती है,,,जिससे नदी दिन ब दिन मरती जा रही है,,,कई  नदियों को अब नाले के रूप में देखा जा रहा है ,वाराणसी में वरुणा नदी तो पूरी तरह से ही नाला का रूप ले चुकी है ,,आगरा में यमुना की भी यही हालत है,,इन नदियों का पानी पीना तो दूर छुना भी लोग पसंद नहीं करते ,,,,,लेकिन अभी कई ऐसी नदिया है जो कई गावो के अस्तित्व को ही बचाए रक्खा है

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